किताबो के पन्नो को पलट के सोचता हु,,,
यु पलट जाये मेरी ज़िन्दगी तो क्या बात है...
ख्वाबो में रोज़ मिलता है जो
हकीकत में आये तो क्या बात है...
कुछ मतलब के लिए दूंदते है मुझको
बिन मतलब जो आये तो क्या बात है...
कत्ल कर के तो सब ले जायेंगे दिल मेरा
कोई बातो से ले जाए तो क्या बात है...
शरीफों की शराफत में जो बात न हो
एक शराबी कह जाये तो क्या बात है...
अपने रहने तक तो ख़ुशी दूंगा सबको
किसी को मेरी मौत पे ख़ुशी मिल जाये तो क्या बात है...
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